World Radio Day: एक ऐसा माध्यम जो समय के साथ अमर हो गया

Thu 13-Feb-2025,01:56 PM IST +05:30

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World Radio Day: एक ऐसा माध्यम जो समय के साथ अमर हो गया World Radio Day 2025: Theme, History etc..
  • अमीन सयानी और 'बिनाका गीतमाला' – अमीन सयानी की आवाज़ और उनका शो 'बिनाका गीतमाला' ने भारतीय रेडियो जगत में क्रांति ला दी, जिससे रेडियो मनोरंजन और संगीत का अहम माध्यम बना।

    • आरजे मलिष्का और सामाजिक बदलाव – रेडियो मिर्ची की आरजे मलिष्का ने मुंबई में गड्ढों की समस्या उजागर कर प्रशासन को कार्रवाई करने पर मजबूर किया, जिससे रेडियो की सामाजिक शक्ति साबित हुई।
Madhya Pradesh / Jabalpur :

Jabalpur/13 फरवरी, 2025, आज विश्व रेडियो दिवस है। यह वही रेडियो है, जिसने एक लंबे समय तक दुनिया भर के श्रोताओं के दिलों पर राज किया। रेडियो ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि लोगों को जोड़ने, शिक्षित करने और जागरूक करने का काम भी किया। आज हम रेडियो के इतिहास, उसकी यात्रा और उसके महत्व को याद करते हैं।

रेडियो की शुरुआत: एक क्रांतिकारी आविष्कार
रेडियो का इतिहास 19वीं शताब्दी से शुरू होता है, लेकिन इसका व्यापक प्रसारण 20वीं शताब्दी में हुआ। 13 फरवरी, 1946 को संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार रेडियो के माध्यम से संदेश प्रसारित किया। इसी दिन को याद करते हुए 2011 में यूनेस्को ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। पहला विश्व रेडियो दिवस 2012 में मनाया गया।

भारत में रेडियो की यात्रा
भारत में रेडियो की शुरुआत 1923 में हुई, लेकिन 1930 में इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी के दिवालिया होने के बाद ऑल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) का गठन हुआ। 8 जून, 1936 को आकाशवाणी ने अपना पहला प्रसारण किया। आजादी के समय आकाशवाणी के पास केवल 6 रेडियो स्टेशन थे, लेकिन आज यह संख्या 223 से अधिक है और इसकी पहुंच 99.1% भारतीयों तक है।

रेडियो का स्वर्णिम दौर
1947 से 1980 तक का समय रेडियो का स्वर्णिम दौर माना जाता है। उस समय रेडियो ही लोगों के मनोरंजन और सूचना का प्रमुख साधन था। क्रिकेट मैच की कमेंट्री, फिल्मी गाने, नाटक, समाचार और कृषि कार्यक्रमों ने लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। बिनाका गीतमाला जैसे कार्यक्रमों ने रेडियो को घर-घर तक पहुंचाया।

रेडियो और जलवायु परिवर्तन: 2025 की थीम
इस साल विश्व रेडियो दिवस की थीम है – "रेडियो और जलवायु परिवर्तन: जलवायु कार्रवाई के लिए एक शक्तिशाली उपकरण"। रेडियो ने हमेशा समाज के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज यह जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। रेडियो यूनिटी 90 एफएम जैसे सामुदायिक रेडियो स्टेशन पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के संदेश को लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

रेडियो का भविष्य: डिजिटल युग में भी प्रासंगिक
आज डिजिटल युग में भी रेडियो ने अपनी जगह बनाई हुई है। एफएम रेडियो और इंटरनेट रेडियो ने इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "मन की बात" कार्यक्रम रेडियो के माध्यम से करोड़ों लोगों तक पहुंचता है। यह साबित करता है कि रेडियो आज भी प्रासंगिक है।

रेडियो से जुड़ी कई प्रेरणादायक कहानियाँ हैं, जिनमें से कुछ ने समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। यहाँ कुछ ऐसी कहानियाँ हैं जो आपको प्रेरित कर सकती हैं:
1. अमीन सायानी: आवाज़ की जादूगरी
अमीन सायानी, जिनकी आवाज़ ने रेडियो को एक नई पहचान दी, उनकी कहानी बेहद प्रेरणादायक है। 1950 के दशक में जब रेडियो भारत में मनोरंजन का प्रमुख साधन था, अमीन सायानी ने "बिनाका गीतमाला" कार्यक्रम के माध्यम से लाखों श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई। उनकी मधुर आवाज़ और शब्दों का जादू लोगों को हर हफ्ते रेडियो से चिपके रहने पर मजबूर कर देता था।

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने अमीन सायानी को पत्र लिखा। उसने बताया कि उसका बेटा कई साल पहले विदेश चला गया था और उसकी कोई खबर नहीं थी। एक दिन उसने रेडियो पर "बिनाका गीतमाला" सुना और अमीन सायानी की आवाज़ सुनकर उसे लगा कि यह आवाज़ उसके बेटे की याद दिलाती है। उसने अमीन सायानी से अनुरोध किया कि वह उसके बेटे का नाम लेकर उसे याद करें। अमीन सायानी ने न केवल उसका नाम लिया, बल्कि उसके बेटे को ढूंढने में भी मदद की। कुछ हफ्तों बाद, उस महिला का बेटा उससे मिलने आया। यह कहानी रेडियो की ताकत और अमीन सायानी की आवाज़ के जादू को दर्शाती है।

2. रेडियो यूनिटी 90 एफएम: पर्यावरण का संदेशवाहक
गुजरात के एकतानगर में स्थित रेडियो यूनिटी 90 एफएम एक ऐसा सामुदायिक रेडियो स्टेशन है, जो न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि समाज को जागरूक भी करता है। यह रेडियो स्टेशन पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के संदेश को लोगों तक पहुंचाने में अग्रणी है।

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रहने वाले किसान रमेश ने रेडियो यूनिटी 90 एफएम पर एक कार्यक्रम सुना, जिसमें जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के बारे में बताया गया था। रमेश ने सुना कि कैसे पानी की बर्बादी और रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है। उसने रेडियो पर सुझाए गए तरीकों को अपनाया और जैविक खेती शुरू की। कुछ ही समय में, उसकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हुआ। रमेश ने अपने गाँव के अन्य किसानों को भी इसके बारे में बताया और धीरे-धीरे पूरा गाँव जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक हो गया। यह कहानी रेडियो की शक्ति को दर्शाती है, जो न केवल सूचना देता है, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव भी लाता है।

3. मन की बात: प्रधानमंत्री की आवाज़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "मन की बात" कार्यक्रम रेडियो के माध्यम से करोड़ों लोगों तक पहुंचता है। यह कार्यक्रम न केवल सूचनाओं का स्रोत है, बल्कि लोगों को प्रेरित भी करता है।

एक बार की बात है, एक छोटे से शहर में रहने वाली एक युवती ने "मन की बात" सुना, जिसमें प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और शिक्षा के महत्व पर बात की थी। उस युवती ने अपने आसपास के बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। उसने एक छोटी सी कक्षा शुरू की और गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने लगी। धीरे-धीरे, उसकी कोशिशों ने रंग लाना शुरू कर दिया और उसके छोटे से स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। उस युवती ने बाद में बताया कि प्रधानमंत्री के शब्दों ने उसे प्रेरित किया और उसने यह कदम उठाया। यह कहानी दर्शाती है कि रेडियो न केवल सूचना देता है, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव भी लाता है।

4. एडवर्ड मरो: सत्य की आवाज़
एडवर्ड मरो एक अमेरिकी रेडियो पत्रकार थे, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपनी रिपोर्टिंग से इतिहास रच दिया। उन्होंने नाज़ी जर्मनी की भयावहता को दुनिया के सामने उजागर किया और पत्रकारिता में सच्चाई की ताकत दिखाई। उनके कार्यक्रम "See It Now" ने अमेरिका में रेडियो पत्रकारिता को नई ऊंचाइयाँ दीं।

5. रामानुजम और ऑल इंडिया रेडियो
भारत में, रेडियो ने स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका निभाई। 1940 के दशक में, ऑल इंडिया रेडियो (AIR) ने कई अनजाने और संघर्षशील कलाकारों को मंच दिया। भारतीय गणितज्ञ एस. रामानुजन को रेडियो पर पहली बार आम लोगों तक पहुँचाया गया, जिससे गणित में रुचि रखने वाले युवाओं को प्रेरणा मिली।

6. बच्चों के लिए गूँजती आवाज़ – अमीन सयानी
अमीन सयानी का नाम भारतीय रेडियो इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनके मशहूर शो 'बिनाका गीतमाला' ने रेडियो को हर घर का हिस्सा बना दिया। उनकी आवाज़ ने लाखों भारतीयों को जोड़ा और रेडियो को एक मनोरंजन और सूचना का सशक्त माध्यम बनाया।

7. रेडियो मिर्ची और सामाजिक बदलाव
आधुनिक समय में, रेडियो मिर्ची और अन्य एफएम चैनलों ने न केवल मनोरंजन दिया, बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी उठाया। आरजे मलिष्का ने मुंबई में गड्ढों की समस्या पर रेडियो के माध्यम से आवाज़ उठाई, जिससे प्रशासन को कार्यवाही करनी पड़ी।

8. रेडियो के ज़रिए साक्षरता अभियान
नेपाल और अफ्रीका के कई इलाकों में रेडियो को साक्षरता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया। एक कार्यक्रम के दौरान, गाँव के बुजुर्गों और महिलाओं को रेडियो के माध्यम से पढ़ना-लिखना सिखाया गया, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वे आत्मनिर्भर बने।

रेडियो का संदेश: अतीत, वर्तमान और भविष्य
रेडियो ने हमेशा समाज को जोड़ने का काम किया है। चाहे वह आपातकालीन स्थिति हो या मनोरंजन का समय, रेडियो हर पल लोगों के साथ रहा है। आज भी रेडियो की आवाज दूर-दराज के गांवों और शहरों तक पहुंचती है। यह न केवल सूचना और मनोरंजन का साधन है, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।

निष्कर्ष
रेडियो की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है। यह हमें सिखाता है कि तकनीक चाहे कितनी भी आगे बढ़ जाए, मानवीय संवाद और जुड़ाव का महत्व कभी कम नहीं होता। आइए, इस विश्व रेडियो दिवस पर हम रेडियो के महत्व को याद करें और इसे आगे बढ़ाने का संकल्प लें।

"रेडियो की आवाज हमेशा जिंदा रहेगी, क्योंकि यह न केवल सुनाई देती है, बल्कि दिलों तक पहुंचती है।"

By Vanisha Rana